Friday, 21 June 2013

*_/\_जागरण व चौकी करवाने वाले यजमान के लिए नियम_/\_*

*_/\_जागरण व चौकी करवाने वाले यजमान के लिए नियम_/\_*
1.जागरण व चौकी बुक करने से पहले भली-भाँति जान लें की जागरण-चौकी करने वाले भक्त किसी प्रकार का तामसी भोजन या कोई नशा तो नहीं करते। क्या ये भक्त बानाधारी महंत व गुरु-धारक हैं ? इनसे इनके गुरु का नाम व घराना अवश्य पूछें।  
2.जागरण के डल व चौकी की अरदास लेनी चाहिए न कि अडवांस ,क्योंकि गुरुओं व महंतों नें इस मार्ग के द्वारा बताया है कि अडवांस लिया-दिया व्यापार किया। डल व अरदास दी मानो माँ को निमंत्रण दिया।  
3.जागरण के डल व चौकी की अरदास देने के पश्चात् जब तक जागरण व चौकी सम्पूर्ण न हो जाये तब तक माँस , मदिरा , अंडा व तामसी वस्तुओं का प्रयोग मत करें।  
4.जागरण व चौकी शुरू होने से 48 घंटे पहले घर में से प्याज लहसुन तथा अन्य तामसी वस्तुएँ घर से बाहर कर दें।  
5.जागरण व चौकी शुरू होने से पहले किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण या महन्त जी से गणेश-गौरी पंचदेव ,नवग्रह ,कलश पूजन व संकल्प लेकर ही ज्योत प्रचंड करवाएँ ।  
6.जागरण व चौकी के भोजन (भंडारे) में प्याज व लहसुन का प्रयोग मत करें।  
7.भोग लगवाने के लिए घर के बर्तनों का प्रयोग करें ना कि टेंट वाले की प्लेटों का और घर के सभी सदस्य मिल कर ही माँ को भोग लगायें।
8.जागरण व चौकी के पश्चात् कन्या व लौंकड़ा पूजन अवश्य करें।
9.जागरण व चौकी के पश्चात् अपने घर में माँ की ज्योति को ले जाकर पूरे घर में कलश का जल छिड़क कर ज्योत का प्रकाश अवश्य कराएँ।
10.सभी फूल मालाओं और प्रयोग की गयी पूजन-सामग्री को एकत्रित करके जल-प्रवाह अर्थात विसर्जन करें। रविवार तथा बुधवार को विसर्जन करना शुभ नहीं माना जाता।
11.ज्योत के बचे हुए घी को घर में नित्य-प्रतिदिन ज्योति जगानें में ही प्रयोग करें।
12.जब तक ज्योति प्रकाशमान रहे तब तक घर में झाड़ू ना लगायें , ज्योति शांत होने के पश्चात् ही संध्या समय को छोड़कर घर में झाड़ू-पोछा करें।

नोट:-नियम विधि सेवा भक्ति भाव करने से माँ ज्वाला प्रसन्न होती है। बिना विधि और भाव से किये गए कार्य से माँ अप्रसन्न व क्रोधी होती है। नियम विधि व भाव से किया गया अनुष्ठान फलदायक होता है। हमेशा याद रखना :-भूले से भूल हो जाये तो माँ माफ़ करती है,जान बूझ कर भूल कर दें तो यह सजा भी ज़रूर देती है। हमें आशा है कि उपरोक्त नियमों का पालन करके माँ के भक्त माँ की असीम कृपापात्र बनेंगे तथा माँ भगवती लक्ष्मी, लज्जा, विद्या, श्रद्धा, पुष्टि, अन्नपूर्णा, शक्ति, सुख-शांति  व ज्योति रूप में सदा आपके घर में निवास करेगी I 
*~~~जय माता दी~~~*

~*~सत्संग~*~

धर्म आध्यात्म मनुष्य के आंतरिक और वाह्य सुख के मूल हैं। धार्मिकता और आध्यात्मिकता के आवरण में भी बहुधा दंभ, पाखंड आदि दुष्प्रवृत्तियाँ प्रबल हो रही हैं। इन विषम परिस्थितियों में माँ भगवती ही हमें चरित्र रक्षण, बलबुध्दि के विकास, भेद-भाव से रहित, निराभिमान, सेवा भावना से युक्त और भक्तिभाव से ओत-प्रोत कर सकती है।
परम ज्योति मण्डल नें माँ भगवती जागरण के कई अनूठे आयोजन कर धर्म-संस्थाओं की अग्रिम पंक्ति में अपना स्थान प्राप्त किया है। इन कार्यकम्रो में आम लोगों की उल्लेखनीय भागीदारी तो रही ही, प्रायः हर क्षेत्र के शीर्षस्थ लोगों ने पधारकर कार्यकमों की गरिमा बढाई। यह आयोजन महन्त श्री परम जी "परम" के सानिध्य में संपन्न हुए।
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पर्यटन

धार्मिक यात्राओं के माध्यम से आध्यात्मिकता का विकास करते हुए परम ज्योति मण्डल ने आध्यात्मिक पर्यटन की कई योजनाएँ अत्यन्त सफलता पूर्वक पूरी की है। समय समय पर संस्था देश के विभिन्न धार्मिक-स्थलों की यात्राओं का आयोजन करती रहती है। जिसमें धर्म प्रेमियों नें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।


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माँ परम ज्योति चालीसा

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मंत्र .......!! ॐ ज्योर्तिज्योर्ति परम ज्योति अज्ञान्तिमिरान्ध्या , भुक्ति मुक्ति प्रदादेवी भक्तानामातिहा !!


दोहा:- श्री गणेश का ध्यान कर,शिव चरनन धर माथ !
         परम ज्योति वंदन करहुं ,श्री सिद्धेश्वर के साथ !!


जय जय दिव्य ज्योति जगमाता ,जयति जयति परम ज्योति विख्याता 
तुम ही सर्व जगत की माता ,तुमसे बड़ा न कोई नाता -1

परम ज्योति रूप चतुर्भुजधारी ,हस्त गदा धरनी धर धारी 
गोद में लै गणपति को खिलावे ,सुर नर मुनि का मन हरशावे 
विमल वदन है मात तुम्हारा ,परमामृत है रूप तुम्हारा 
तुम ही दुर्गा सिंह वाहिनी ,वरचो ज्योति तुम पतित पावनी -2

तुम ही ब्रह्म अब्रह्म भी तुम हो,तुम ही वेद अवेद भी तुम हो 
शाश्वत नित्य अजन्मा तुम हो,भुक्ति-मुक्ति प्रदायिनी तुम हो 
प्रानाक्षर में तुम ही विराजत ,अर्ध मातरा तुम ही साजत 
तुम ही संध्या तुम ही सावित्री ,तुम ही विश्व ब्रह्मांड को धरती -3

आदि-अनादि अनंत माँ तुम हो ,सृष्टि की करता धरता तुम हो 
सृष्टि का पालन तुम ही करती ,प्रलय काल सब नाश भी करती 
शक्ति,पुष्टि,तुष्टि भी तुम हो ,लज्जा,शान्ति,क्षमा भी तुम हो 
रूद्र रूप संचार माँ करती ,तुम ही सोम को धारण करती -4

 तुम धन धान्य को देने वाली ,ज्ञान की ज्योति जगाने वाली 
परम ज्योति का धाम निराला ,पहरा देत काशी कोतवाला 
चौंसठ योगनी गान करत हैं , भैरव बाब संग नचत हैं 
शिव के संग में माई विराजत ,पुत्र गणेश को गोद खिलावत -5

हनुमत करत माँ की अगवानी ,हाथ में लेकर लाल निशानी 
जो भी जन इस छविं को ध्यावत ,अष्ट सिद्धि नव निधि फल पावत 
जय दिव्य ज्योति माँ दुःख नाशिनी ,जय ज्योति माँ ज्ञान दायिनी 
जय अग्नि ज्योति माँ मंगल कारिणी ,जय वरचो ज्योति माँ आनंद दायिनी -6

जयति जयति माँ शक्ति स्वरुपनी ,जयति जयति माँ ब्रह्म रूपनी 
तुम ही रमा शारदा काली ,सदा करत संतन रखवाली 
जय सर्व शत्रु विनाशिनी जय जय ,जय दैत्य दानव मर्दिनी जय जय 
जय कैटभासुर मर्दिनी जय जय ,जय महिषासुर मर्दिनी जय -7 

जय लंकेश्वर विनाशिनी जय जय ,जय चंड मुंड विनाशिनी जय जय 
दैत्य सूदिनी मथनी जय जय ,जय धूम्राक्ष मर्दिनी जय जय 
जय निशुम्भ अंन्त्री माँ जय जय ,जय दुर्गासुर निहन्त्री जय जय 
त्रयलोक परिपालिनी जय जय ,दिव्य स्थान निवासिनी जय जय -8

कारण परम अकारण तुम हो ,ज्योति रूप विदारण तुम हो 
तुम जग की रखवाली करती ,रोगों को माँ छन में हरती 
माँ ज्योति का रूप निराला ,परम धाम पहुँचाने वाला 
साधक सिद्धि करत रखवारी ,परम ज्योति की महिमा भारी -9

मैया तेरा दिव्य स्वरुपा ,ध्यान धरत छूटे भव कूपा 
करती कृपा मिटे दुःख भूपा ,दरश करत जो ज्योति रूपा 
श्यामल छविं अति रूप अनूपा ,कृपा अगारिणी नाम स्वरुपा 
जो नित यह चालीसा गावै ,निश्चय मन वांछित फल पावै -10
दोहा :-जग कल्याण बढ़ाये कर ,सिद्ध करो सब काज !
           "श्रीधर" विनती करत है ,जगदम्बा से आज !! 

Thursday, 20 June 2013

About Us

PARAM JYOTI MANDAL (Regd.)
Dilshad Colony, Delhi-110095, INDIA

PARAM JYOTI MANDAL -Regd. (Trust) INDIA is a Non-Profit, Non Sectarian, Non Discriminatory and Religious Registered Charitable Trust operating across India.Registration No.16/04/590/16-23/2013-14/SR IVA -SHAHDARA. It was formed with the clear vision to organize / participate in social welfare programmes to help the desperately Poor and Underprivieged.
Mahant Param Jee "PARAM" (https://www.facebook.com/paramjeet.khanna) is a Founder Chairman.
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